विजय प्रताप सिंह की कहानी: नौकरी छोड़कर पहाड़ों की ओर, कैसे बना ‘AdvenThrill’ एक सफल Trekking Company

विजय प्रताप सिंह की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने पैशन को करियर में बदलना चाहते हैं। एक समय था जब विजय बैंक में अच्छी नौकरी करते थे, लेकिन दिल हमेशा पहाड़ों में ही अटका रहता था। इसलिए उन्होंने 23 साल की उम्र में नौकरी छोड़कर ‘AdvenThrill’ नाम की एक Trekking Company शुरू की — और आज वह भारत को अंतरराष्ट्रीय ट्रेकिंग मैप पर लाने का सपना देख रहे हैं।
गांव से शुरू हुआ सफर
विजय का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। उन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई गांव के हिंदी मीडियम स्कूल से की, लेकिन 2005 में बेहतर शिक्षा के लिए देहरादून चले गए। यहीं से पहाड़ों और प्रकृति के लिए उनका प्यार शुरू हुआ।
पढ़ाई और नौकरी का दौर
2012 में विजय ने देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी से IT (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में ग्रेजुएशन किया और फिर हैदराबाद की HCL कंपनी में जॉब की। लेकिन वहां भाषा और खाने की दिक्कतें थीं। वीकेंड पर वह जंगलों में घूमने चले जाते और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी करते।
इसके बाद उन्होंने MAT (Management Aptitude Test) एग्जाम देकर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस में मास्टर्स किया। पढ़ाई के दौरान पुणे में कोटक महिंद्रा बैंक में नौकरी भी की, जहाँ उन्हें बिजनेस की गहरी समझ मिली।

दिल अब भी पहाड़ों में था
बैंक में काम करते हुए भी विजय हर वीकेंड दोस्तों के साथ Trekking पर जाते थे। वह जानते थे कि एक दिन ट्रेकिंग ही उनका करियर बनेगा। उन्होंने पहले से प्लान बना लिया था कि कंपनी कैसे काम करेगी।
23 साल की उम्र में लिया बड़ा फैसला
2016 में विजय ने ‘AdvenThrill’ की शुरुआत की। शुरुआत में वह खुद वेबसाइट बनाते, सोशल मीडिया संभालते और 80% काम अकेले करते थे। साथ ही कुछ मैनेजमेंट इंटर्न भी रखे।
धीरे-धीरे लोगों का भरोसा मिलने लगा। देहरादून और अन्य राज्यों से लोकल सपोर्ट भी मिला।
कोरोना का सामना
2020 में जब कोरोना महामारी आई, तो ट्रेवल इंडस्ट्री ठप हो गई। लेकिन विजय ने हार नहीं मानी। उन्होंने वर्चुअल मैराथन जैसे डिजिटल इवेंट्स कराए, जिससे AdvenThrill Trekking Company को लोगों तक पहुंचाया।
पहले ट्रेक से शुरू हुई लीडरशिप की सीख
विजय ने पहला ट्रेक 2016 में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के 12 MBBS स्टूडेंट्स के साथ किया था। इसके बाद उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से कोर्स किया और एक ट्रेन्ड टीम बनाई, जिसमें एक्स-आर्मी मेंटर्स, फर्स्ट ऐड एक्सपर्ट और सर्च-एंड-रेस्क्यू टीम शामिल है।
हर किसी के लिए नहीं है ट्रेकिंग
AdvenThrill Trekking को तीन लेवल में बांटता है:
- बिगिनर (3,500 मीटर तक) – 4-5 घंटे चल सकने वाले लोग।
- मॉडरेट (3,500 मीटर से ऊपर) – जिन्हें 5 ट्रेकिंग का अनुभव हो।
- डिफिकल्ट (5,000 मीटर से ऊपर) – माउंटेनियरिंग कोर्स जरूरी।
हर ट्रेकर को मेडिकल रिपोर्ट देनी होती है, और 20 दिन पहले से फिटनेस रूटीन फॉलो करना होता है।
ट्रेक पर पूरी टीम का साथ
हर 15 ट्रेकर के लिए 3 लीडर्स (बेसिक, एडवांस, और सर्च-एंड-रेस्क्यू एक्सपर्ट), एक कुक, दो हेल्पर, पोर्टर्स समेत करीब 12 लोगों की टीम होती है। हर ट्रेक से पहले मेडिकल चेकअप भी किया जाता है।
कैसे बनाई एक सफल Trekking कंपनी
कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड के रूप में रजिस्टर किया गया और उत्तराखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट और इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन से अप्रूवल मिला। फाउंडेशन से जुड़ने के बाद 5,000 मीटर से ऊपर के Trekking करना संभव हुआ।

एक मिशन, एक सपना
विजय का मानना है कि भारत के पास दुनिया के टॉप Trekking डेस्टिनेशन बनने की पूरी क्षमता है — बस जरूरी है सेफ्टी, गाइडलाइन और इंफ्रास्ट्रक्चर।
2024 में विजय ने ब्लाइंड इंडियन फुटबॉल टीम के लिए भी ट्रेक ऑर्गनाइज किया, जिससे साबित होता है कि उनकी टीम हर व्यक्ति के लिए ट्रेकिंग एक्सपीरियंस को सुरक्षित और यादगार बनाती है।
आठ साल में बना 10 करोड़ का बिजनेस
अब तक विजय की कंपनी ने लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और नेपाल में ट्रेक कराए हैं और करीब 10 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया है। 2024 में ही 45 लाख की कमाई हुई।
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आगे का प्लान
अब विजय भारत के अनएक्सप्लोर्ड ट्रेल्स को मैप करके ट्रेकिंग के नए रूट खोलना चाहते हैं — ताकि लोकल कम्युनिटी को भी फायदा मिले और भारत की खूबसूरती दुनिया तक पहुंचे।
“जिंदगी बार-बार मौका नहीं देती, लेकिन पहाड़ हमेशा वहीं होते हैं। इसलिए ट्रेकिंग करते समय सेफ्टी सबसे जरूरी है।” – विजय प्रताप सिंह
अगर आप भी Trekking के शौकीन हैं और पहाड़ों से प्यार करते हैं, तो विजय की यह कहानी आपको जरूर प्रेरित करेगी।
Trekking कंपनी कैसे शुरू करें?
Trekking कंपनी शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको जरूरी रजिस्ट्रेशन (प्राइवेट लिमिटेड या सोल प्रोप्राइटरशिप) करवाना होगा। साथ ही माउंटेनियरिंग कोर्स कर अनुभव लेना और एक प्रशिक्षित टीम बनाना जरूरी है।
AdvenThrill की तरह, सोशल मीडिया और वेबसाइट बनाकर मार्केटिंग शुरू करें।
ट्रेकिंग बिजनेस में सफलता के लिए क्या जरूरी है?
सुरक्षा, अनुभव और ग्राहकों की जरूरतों को समझना सबसे जरूरी है। अच्छी टीम, सही गाइडलाइन, और लोकल समुदायों से जुड़ाव सफलता की कुंजी हैं।
माउंटेनियरिंग कोर्स क्यों करना जरूरी है?
माउंटेनियरिंग कोर्स से आपको तकनीकी ज्ञान और सुरक्षा की ट्रेनिंग मिलती है। यह प्रमाणित करता है कि आप ट्रेकिंग का सही अनुभव रखते हैं और आपातकालीन स्थितियों को संभाल सकते हैं।
कौन-कौन से स्थानों पर ट्रेकिंग कंपनी ट्रेक्स आयोजित कर सकती है?
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, सिक्किम और नेपाल जैसे पहाड़ी और ग्लेशियर क्षेत्र प्रमुख ट्रेकिंग स्पॉट हैं। AdvenThrill इन क्षेत्रों में ट्रेक्स आयोजित करता है।
ट्रेकिंग के लिए फिटनेस कैसी होनी चाहिए?
ट्रेकिंग के लिए नियमित व्यायाम और कम से कम 20 दिनों की फिटनेस तैयारी जरूरी है। साथ ही मेडिकल रिपोर्ट्स भी जमा करनी होती हैं ताकि शारीरिक क्षमता सुनिश्चित की जा सके।
ट्रेकिंग के दौरान सुरक्षा के क्या उपाय होते हैं?
प्रत्येक ग्रुप में कम से कम तीन प्रशिक्षित गाइड (बेसिक, एडवांस, सर्च-एंड-रेस्क्यू एक्सपर्ट), मेडिकल चेकअप, फर्स्ट एड, और पोर्टर्स होते हैं ताकि सभी का ध्यान रखा जा सके।
कोविड महामारी के दौरान ट्रेकिंग बिजनेस कैसे चलाया गया?
कोविड के दौरान वर्चुअल मैराथन जैसे ऑनलाइन इवेंट आयोजित कर कंपनी को सक्रिय रखा गया और नए तरीकों से ग्राहक जुड़ाव बढ़ाया गया।
क्या Trekking हर किसी के लिए सुरक्षित है?
Trekking सुरक्षित हो सकती है यदि सही तैयारी, फिटनेस, और अनुभवी गाइड के साथ जाएं। मेडिकल जांच जरूरी है, और कठिन ट्रेक्स के लिए विशेषज्ञता भी।