Babla Mehta, ‘वॉयस ऑफ मुकेश’ का निधन – किस तरह उन्होंने मुकेश की धरोहर को जीवित रखा

लोकप्रिय गायन शैली के लिए मशहूर Babla Mehta, जिन्हें “वॉयस ऑफ मुकेश” के नाम से जाना जाता था, का निधन 22 जुलाई 2025 को हुआ — जो खुद मशहूर पार्श्वगायक मुकेश की जन्मतिथि भी थी।
मुकेश की धरोहर को आगे बढ़ाया
- Babla Mehta ने T-Series के तहत 250 से अधिक मुकेश के गीतों के कवर जारी किए थे — जिसमें 10 सोलो और 6 डुओ एल्बम शामिल थे। इस कार्य ने उन्हें सार्वजनिक रूप से मुकेश की आत्मा को आगे ले जाने वाली आवाज के रूप में स्थापित कर दिया।
अपनी कलात्मक पहचान
- केवल मुकेश की नकल तक सीमित नहीं रहे, Babla Mehta ने लता मंगेशकर के साथ फिल्म Chandni का “तेरे मेरे होठों पे” गीत गाया, जिसने उनके करियर को नई ऊँचाइयाँ दीं।
- उन्होंने Dil Hai Ke Manta Nahin, Tahalaka, Sadak, Jeene Do, और Major Saheb जैसी फिल्मों के लिए भी अपनी आवाज़ दी।
भक्ति संगीत में योगदान

- भक्ति संगीत में भी Babla Mehta का अपना स्थान था: Jai Shree Hanuman, Sankat Mochan, Mamta Ka Mandir जैसे भजन उन्होंने प्रस्तुत किए।
- Sunder Kaand और Ramcharitmanas के पूरे पाठों को स्वरबद्ध कर उन्होंने अपनी योग्यता और श्रद्धा का परिचय दिया।
विश्वव्यापी संगीत सफर
- स्टेज आर्टिस्ट के रूप में शुरू हुए Babla Mehta ने दुनिया भर में 300 से अधिक लाइव कॉन्सर्ट्स किए — वेस्ट इंडीज़, नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया में।
साहित्य और कविता में योगदान
- उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध कविताओं जैसे “सपना टूट गया” और “गीत नहीं गाता हूँ” को संगीतबद्ध किया, जिसमें भावनात्मक गहराई और लयात्मकता का अनूठा मेल था।

प्रेरक विरासत
- Babla Mehta का निधन उस दिन हुआ जब मुकेश की जन्मतिथि थी — एक प्रतीकात्मक घटना, जो उनके कॅरियर और मुकेश की संगीत विरासत को एक भावनात्मक अनुक्रम में बांध देती है।
- उनका जीवन और योगदान यह सुनिश्चित करता है कि मुकेश की आवाज़ आने वाली पीढ़ियों तक भी जीवित रहेगी।
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