Nikhil Kamath का चेतावनी भरा संदेश: “अगर नहीं सीखे तो नौकरी जाएगी!”

Zerodha के को-फाउंडर Nikhil Kamath ने एक बड़ा बयान देकर इंटरनेट पर बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि अब पुरानी शिक्षा व्यवस्था पीछे छूट रही है, और आज की दुनिया में लगातार सीखते रहना ही एकमात्र रास्ता है।
WEF रिपोर्ट 2025: भविष्य के लिए सीखना जरूरी
कामत ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की “फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2025” का हवाला देते हुए बताया कि 2030 तक AI और टेक्नोलॉजी 34% तक काम खुद कर लेंगी, जबकि इंसानों का हिस्सा सिर्फ 33% रहेगा। बाकी काम हाइब्रिड मॉडल यानी इंसानों और मशीनों के बीच बंटे रहेंगे।
पुरानी डिग्रियों की ‘एक्सपायरी डेट’ आ गई है
Nikhil Kamath ने X (पहले ट्विटर) पर लिखा,
“चार साल की डिग्री की उम्र खत्म हो चुकी है। अब ज़िंदगी भर सीखते रहना पड़ेगा, तभी आप टिक पाएंगे।”
Such an interesting question: "What jobs will be relevant in 10 years?"
— Nikhil Kamath (@nikhilkamathcio) June 26, 2025
Personally, I think the days of 4-year college courses are over, lifelong learning is the new norm, for everyone… pic.twitter.com/sk3m7vfjR4
Nikhil Kamath ने चेतावनी दी कि जो लोग समय के साथ नहीं बदलेंगे, वे आने वाले समय में पीछे छूट जाएंगे। आज की पढ़ाई 10 साल बाद शायद किसी काम की न हो।
2030 तक बड़े बदलाव: कुछ जॉब्स जाएंगी, नई जॉब्स आएंगी
WEF रिपोर्ट के मुताबिक:
- 2030 तक 92 मिलियन (9.2 करोड़) नौकरियां खत्म हो जाएंगी,
- लेकिन 170 मिलियन (17 करोड़) नई नौकरियां बनेंगी।
इसका मतलब ये हुआ कि नेट 78 मिलियन नई नौकरियां मिलेंगी, मगर इसका फायदा सिर्फ सीखते रहने वाले और बदलाव अपनाने वाले लोगों को ही होगा।
कौन-सी स्किल्स जरूरी होंगी?
रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक 39% स्किल्स बेकार हो सकती हैं, यानी आज जो आप जानते हैं, वह भविष्य में काम न आए।
भविष्य में बढ़ने वाली स्किल्स:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा
- साइबर सुरक्षा
- एनालिटिकल थिंकिंग
- क्रिएटिव प्रॉब्लम सॉल्विंग
- पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी स्किल्स
कंपनियों की तैयारी और कर्मचारियों की परेशानी
- 77% कंपनियां अपने स्टाफ को दोबारा ट्रेनिंग देने की सोच रही हैं।
- 69% कंपनियां AI टूल बनाने वाले लोगों की भर्ती करेंगी।
- लेकिन 41% कंपनियां ये भी मानती हैं कि कुछ पुराने कामों को ऑटोमेशन की वजह से खत्म करना पड़ेगा।
वहीं, 63% कंपनियों को स्किल गैप से दिक्कत हो रही है, पर सिर्फ 59% कर्मचारी ही अपस्किलिंग पा रहे हैं। इसका मतलब है कि हर 9 में से 1 कर्मचारी को जरूरी ट्रेनिंग नहीं मिल रही है।
Green, Gig और गुम होती नौकरियां
- Green टेक्नोलॉजी से 34 मिलियन (3.4 करोड़) एग्रीकल्चर जॉब्स बनेंगी।
- ऑनलाइन खरीदारी बढ़ने से सॉफ्टवेयर डेवलपर और डिलीवरी वर्कर्स (Gig) की मांग बढ़ेगी।
- लेकिन क्लर्क, कैशियर, सेक्रेटरी जैसे पारंपरिक काम धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।
इंक्लूजन और नई प्राथमिकताएं
भारत में अब 95% कंपनियां डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन (DEI) को प्राथमिकता दे रही हैं।
वैश्विक स्तर पर:
- महिलाओं (76%)
- दिव्यांगों (56%)
- और Gen Z (52%) को ज्यादा मौका दिया जा रहा है।
फिर भी, 38% नियोक्ताओं को संदेह है कि नई भर्ती में सही स्किल्स मिल पाएंगी या नहीं।
ऑनलाइन लर्निंग का संघर्ष
Nikhil Kamath के पोस्ट पर कई लोगों ने समर्थन किया। कुछ ने कहा,
“AI नौकरियां छीनेगा नहीं, बल्कि नई नौकरियां लाएगा।”
दूसरों ने कहा,
“AI तेज हो सकता है, पर भरोसा और इंसानी जुड़ाव नहीं बना सकता।”
हालांकि, कुछ लोगों ने ऑनलाइन लर्निंग को “घोटाला” बताया और कहा कि स्ट्रक्चर्ड पढ़ाई (जैसे कॉलेज) अब भी जरूरी है।
कई लोगों ने यह भी माना कि हर कोई सेल्फ-लर्निंग नहीं कर सकता।
सीखो या फिर पीछे छूट जाओ
Nikhil Kamath का साफ संदेश है:
“अगर आपने खुद को समय के साथ नहीं बदला, तो आप इस नई दुनिया में पीछे रह जाएंगे।”
आज सवाल यह नहीं है कि “आप क्या काम करते हैं?”
बल्कि यह है कि “आप कितनी तेजी से खुद को बदल सकते हैं