सरकारी नौकरी का सपना छोड़ बना मोती (Pearl) किसान

राजस्थान के भरतपुर जिले के गौरव पचौरी ने चार साल तक सरकारी नौकरी की तैयारी की, लेकिन जब सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने एक नया रास्ता चुना। आज वे फ्रेशवॉटर पर्ल फार्मिंग (मीठे पानी में Pearl की खेती) से 21 महीनों में 55 लाख रुपये कमा चुके हैं।
सरकारी नौकरी की कोशिश और नया फैसला
गौरव ने 2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (RAS) की तैयारी शुरू की और दिल्ली चले गए। लेकिन चार साल की मेहनत के बाद भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। वे कहते हैं, “मुझे समझ आ गया था कि सरकारी नौकरी मेरे लिए नहीं है।”
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एक समय ऐसा आया जब गौरव के पास दो रास्ते थे – या तो सरकारी परीक्षा की तैयारी जारी रखें या खेती में कुछ नया करें। उन्होंने Pearl की खेती को चुना।
टीवी से मिला Pearl की खेती का आइडिया
गौरव को एक दिन टीवी पर मोती की खेती के बारे में जानकारी मिली। वे कहते हैं, “मैं कई बार ऐसे टीवी प्रोग्राम देखता था, जिनमें नई-नई खेती के तरीकों के बारे में बताया जाता था। मोती (Pearl) की खेती से अच्छा पैसा कमाया जा सकता था, लेकिन इसमें रिस्क भी था।”
गौरव को सबसे ज्यादा डर अपने माता-पिता को ये नया आइडिया बताने में था। उनके परिवार में हमेशा पारंपरिक खेती होती थी – जैसे गेहूं, बाजरा और सरसों। उन्होंने कभी खेत में काम नहीं किया था। वे कहते हैं, “मैं तो हमेशा एसी वाले कमरों में रहना पसंद करता था।”
माता-पिता की चिंता और गौरव का आत्मविश्वास
गौरव के माता-पिता पहले तो इस खेती के लिए तैयार नहीं थे। उन्हें डर था कि बेटा नौकरी की बजाय पैसे खेती में लगा देगा और नुकसान होगा। लेकिन गौरव को भरोसा था कि एक बार कामयाबी मिल गई, तो सब कुछ बदल जाएगा।
5 दिन की ट्रेनिंग ने बदल दी जिंदगी
गौरव ने उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जाकर मोती की खेती के फार्म देखे और फिर भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित CIFA (Central Institute of Freshwater Aquaculture) से 5 दिन की ट्रेनिंग ली। इस ट्रेनिंग में उन्होंने सीखा कि Pearl बनाने के लिए मसल्स (mussels) कैसे लाने हैं, उन्हें क्या खाना देना है, सर्जरी कैसे करनी है, और डिजाइनर व राउंड मोती कैसे तैयार किए जाते हैं। ट्रेनिंग की फीस 8,000 रुपये थी और उन्हें सर्टिफिकेट भी मिला।
भरतपुर में शुरू की Pearl की खेती
सितंबर 2022 में गौरव ने अपने गांव में 150 x 80 फीट का एक तालाब तैयार किया और उसमें 1.15 लाख मसल्स डाले। इसमें से 50,000 मसल्स गौरव ने खुद खरीदे और बाकी में छोटे किसानों ने निवेश किया।
उन्होंने इस प्रोजेक्ट में कुल 21 लाख रुपये लगाए, जिसमें से 8 लाख तालाब बनाने में खर्च हुए।
21 महीने में कमाए 55 लाख रुपये
मसल्स की सर्जरी करने और उन्हें जाल में रखकर तालाब में डालने में करीब डेढ़ महीना लगा। उसके बाद हर महीने उन्हें खाना देना और तालाब की ऑक्सीजन मेंटेन करना जरूरी था।

21 महीनों के बाद जब मोती तैयार हुए, तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हर मोती 110 रुपये में बिका और कुल 1.25 करोड़ रुपये की बिक्री हुई। इसमें से 80 लाख रुपये का मुनाफा हुआ और गौरव को व्यक्तिगत रूप से 55 लाख रुपये का फायदा हुआ। यानी उन्होंने अपनी लागत से 2.5 गुना कमाई की।
मौसम और मसल्स की मौत जैसी चुनौतियां
गौरव बताते हैं कि राजस्थान का मौसम गर्म होता है और उन्हें मसल्स ओडिशा से ट्रेन से लाने पड़ते थे। दो दिन तक बिना पानी के रहने से मसल्स कमजोर हो जाते थे और मरने की दर 50% तक पहुंच गई थी।
इसलिए उन्होंने अगली बार जनवरी 2023 में, सर्दियों में मसल्स मंगवाए। इस बार मरने की दर सिर्फ 30% रही।
धैर्य, सीख और विस्तार
गौरव ने पहले बैच के साथ-साथ दूसरा बैच भी शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता ने इसका विरोध किया और कहा कि बिना पहले बैच का रिजल्ट आए क्यों पैसे बर्बाद कर रहे हो। लेकिन गौरव ने चुपचाप मेहनत की और 21 महीनों बाद जब 1.25 करोड़ की कमाई हुई, तब सबको जवाब मिल गया।
अब गौरव राजस्थान में तीन और पश्चिम बंगाल में दो तालाबों में Pearl की खेती कर रहे हैं।
एक नई पहचान और दूसरों को रोजगार
गौरव कहते हैं, “मैंने इस काम की शुरुआत खुद के लिए की थी लेकिन अब ये और किसानों के लिए भी आमदनी का जरिया बन चुका है। mutual funds और fixed deposits में पैसा लगाने से अच्छा, इस काम में निवेश किया। आज इस काम ने मेरी पहचान बना दी है।”